योगी सरकार की बड़ी पहल, तीन तलाक की पीड़ा झेल रही मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा भरण-पोषण भत्ता


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक पर न्याय दिलाने के साथ-साथ उनके भरण पोषण के लिए कल्याणकारी योजना शुरू कर नई मिसाल पैदा की है। जिसकी मुस्लिम समाज में चारों ओर प्रशंसा की जा रही है। साथ ही साथ मुस्लिम समाज उन तथाकथित नेताओं से भी सवाल कर रहा है जो तीन तलाक बिल पर आंदोलन की बात करके मुस्लिम समाज को गुमराह कर रहा था। समाज में फैली एक कुरीति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समाप्त किया गया है। तीन तलाक के बने कानून की मार से आज तलाक देने के मामलों में भारी कमी दिखाई दी है। जिससे समाज में फैल रही बुराई दूर हो जा रही है। जो लोग तीन तलाक कानून की आलोचना करके यह पूछ रहे थे कि उन महिलाओं के भरण-पोषण का क्या होगा? ऐसे नेता आज खुद ही सवालों के घेरे में खड़े हो गए हैं। योगी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हित में एक कल्याणकारी पहल करते हुए फैसला किया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को 6 हजार रुपये की सलाना मदद की जाएगी. जबकि पिछले साल सीएम योगी ने तीन तलाक पीड़िताओं को 500 रुपये की मदद देने की घोषणा की थी.
इसके अलावा प्रदेश सरकार जल्द ही कैबिनेट प्रस्ताव भी लाएगी, जिसमें तीन तलाक मामले में एफआईआर फैमिली कोर्ट में विचाराधीन मामलों में भी मदद मिलेगी. बता दें कि यूपी में 7000 महिलाएं तीन तलाक से हैं पीड़ित हैं.
राज्य में अब तीन तलाक से प्रभावित अल्पसंख्यक महिलाओं को वक्फ संपत्तियों से जोड़ा जाएगा. राज्य सरकार ने इसे लेकर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को 20 अक्टूबर तक कार्ययोजना बनाकर भेजने को कहा है.
बता दें कि तीन तलाक कानून को अस्तित्व में आए एक अगस्त को एक साल हो गया हैं. ऐसे में पिछले एक साल के दौरान 'तीन तलाक' या 'तिलाके बिद्दत' की घटनाओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है, जहां कही ऐसी घटना हुई. वहां कानून ने अपना काम किया है.
तीन तलाक कहकर जो मुस्लिम महिलाओं का शोषण करते थे आज सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को आत्म निर्भर करते हुए मजबूत कानून की मदद से महिलाओं की बदनामी को रोका है।
गौरतलब है कि दुनिया के कई प्रमुख इस्लामी देशों ने बहुत पहले ही तीन तलाक को गैर-कानूनी गैर-इस्लामी घोषित कर खत्म कर दिया है. मिस्र दुनिया का पहला इस्लामी देश है, जिसने 1929 में तीन तलाक को खत्म किया, उसे गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध बनाया. 1929 में सूडान ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया.